Thursday, February 18, 2010
Aman ki Asha - Gulzar at his best
आँखों को VISA नहीं लगता
सपनों की सरहद होती नहीं
बंद आखों से रोज़ मैं सरहद पार चला जाता हूँ
मिलने मेहदी हसन से
सुनता हूँ उनकी आवाज़ को चोट लगी है
अब कहते हैं
सूख गए हैं फूल किताबों में
यार फ़राज़ भी बिचाद गए हैं
शायद मिलें वह खवाबों में
बंद आखों से अक्सर सरहद पार चला जाता हूँ
मिलने मेहदी हसन से …
आँखों को VISA नहीं लगता
सपनों की सरहद कोई नहीं…
(from... The Times of India's Aman ki Asha)
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